मज़हबी ध्रुवीकरण के मक़सद से यूपी की सियासत रामपुर से शुरू करेंगे अमित शाह!

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लखनऊ।नरेंद्र मोदी के नुमाइंदे के तौर पर देखे जा रहे अमित शाह की यूपी की सियासत में बिसमिल्लाह रामपुर से शुरू होगी। वह 29 मई को रामपुर जिले में बीजेपी के जेल भरो आंदोलन की अगुवाई करेंगे। यूपी का प्रभारी बनाए जाने के बाद वह पहली बार सूबे में पार्टी के किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे।

मजहबी आधार पर ध्रुवीकरण
बीजेपी का इरादा धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण करने का है। पार्टी की यह रणनीति केवल एक लोकसभा सीट के लिए नहीं है, बल्कि वह पूरे प्रदेश में यही रणनीति अपना चाहती है। फिलहाल यूपी के जो राजनीतिक हालात हैं, उसमें बीजेपी को उसी सूरत में फायदा हो सकता है जब वोटों का धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण हो। अमित शाह को राज्य का प्रभारी बनाए जाने के पीछे भी पार्टी की यही सोच है।

मोदी अपनी व्यस्तता के चलते यूपी के हर जिले के लिए वक्त नहीं दे सकते, लेकिन शाह जब पूरे यूपी को मथेंगे तो मुसलमानों में उसी तरह का उबाल आने की बात कही जा रही है, जैसे मोदी की मौजूदगी से होती। इसी वजह से 29 मई को अमित शाह की रामपुर जिले में जेल भरो आंदोलन में शिरकत के बाद कई दूसरे मुस्लिम बहुल जिलों में उनके कार्यक्रम आयोजित कराए जाने की तैयारी है।
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रामपुर ही क्यों?
शाह के लिए रामपुर को ही क्यों चुना गया, इसके राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। रामपुर यूपी का सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला जिला है। साथ ही समाजवादी पार्टी के मुस्लिम चेहरे कहे जाने वाले फायर ब्रैंड नेता आजम खान और कांग्रेस की नूर बानो का इलाका भी यही है। मोदी को लेकर मुसलमानों का जिस तरह का नजरिया है, उसमें उनके प्रतिनिधि के तौर पर शाह की मौजूदगी मुसलमानों के लामबंद होने का सबब बन सकती है और बीजेपी को इसी मौके का इंतजार है।

धार्मिक आधार पर वोटों के ध्रुवीकरण से बीजेपी को फायदा होता रहा है। रामपुर के चुनावी अतीत पर अगर नजर डाली जाए तो पिछले नौ लोकसभा चुनावों में से सिर्फ दो बार बीजेपी को यहां तभी जीत मिल सकी, जब यहां धार्मिक आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण हुआ। पांच चुनाव कांग्रेस ने जीते हैं, जबकि पिछले दो चुनावों से यहां पर एसपी जीत रही है।

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